झंडा - शिशिर अहमद खान
झंडा
शिशिर अहमद खान
एक ध्वज?
कई सवालों के जवाब देते हैं। ,
अनेक आशाओं का ज्वाला द्वीप
हमें हाथ मिलाते हैं।
एक पहचान उसे घेर लेती है
इसकी जमीन पर एक नक्शा,
लक्ष्य मानव रक्त के धब्बे हैं
उसकी जमीन पर टिके रहो!
उसकी जमीन पर टिके रहो!
उसकी जमीन पर डटे रहो!
करोड़ों लोगों की पुकार
जिनकी आंखें जिंदा हैं,
अनगिनत लोगों ने आंसू बहाए
किसका शोक!
के अंत के बाद
मोरा अपने सम्मान की रक्षा के लिए जागता है
सारा जीवन।
नीले आकाश में विस्मय में उड़ो
सदाबहार सीने में
लाल सूरज चमक रहा है।
एक विरोध, एक सवाल
पूरी दुनिया को
मेरा झंडा, मेरा अधिकार
इसे जमीन में मिला दिया जाता है।
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